Showing posts with label पेटीकोट की गठान. Show all posts
Showing posts with label पेटीकोट की गठान. Show all posts

पेटीकोट की गठान

July 31, 2013 Add Comment
पेटीकोट की गठान

एक रोज़ सिन्धी और मारवाड़ी दो सहलियो की बाज़ार में मुलाकात हो गयी बातोबात में इधर उधर की बात करते करते सेक्स की बात में पहुँच गयी दोनों ...

तो सिंधन सहेली ने कहा : क्या बताऊँ बहन कल रात को तो सेक्स का सारा मजा किर-किरा हो गया ....
मारवाड़ण सहेली ने पूछा : क्यूँ ऐसा क्या हुआ ... कंही जीजोसा का खड़ा होना बंद तो नहीं हो गया और तू तड़फती ही रह गयी ...
सिंधन अपनी सहेली के बूब्स को चिमटते हुए बोली : नहीं वो बात नहीं है रे उनका खड़ा तो रोज रात को होता है पर कल रात को वो मेरी सिलवार की गाठ उलझ गयी और बहुत देर तक उनसे और फिर मुझसे भी नही खुली ...
मारवाड़ण सहेली हँसते हुए पूछी : फिर, फिर क्या हुआ ...
सिंधन सहली भी मुस्कुराते हुए बताई : फीर क्या बच्चा जाग गया और उसको सुलाने के चक्कर में हम दोनों को भी नींद आ गई .... और सरे प्रोग्राम की वाट लग गयी ..
मारवाड़ण : लेकिन म्हारे साथ ऐसा कभी नही हो सकता है हम तो जब भी मूड होता है भरपूर सेक्स का मज़ा लेते है ...
सिंधन पूछती है : क्यों तुम्हरे पेटीकोट की गठान कभी नहीं उलझती क्या ...
मारवाड़ण उसके सलवार को खींचते हुए बोली : इसीलिए मेरी बन्नो रात को लहंगा पहना कर और जब भी मज़ा लेना हो तो ऐसा करने के लिए गठान खोलने की क्या जरुरत है बस लहंगा ऊपर उठाओ और शुरू हो जाओ
Photo: एक रोज़ सिन्धी और मारवाड़ी दो सहलियो की बाज़ार में मुलाकात हो गयी बातोबात में इधर उधर की बात करते करते सेक्स की बात में पहुँच गयी दोनों ... तो सिंधन सहेली ने कहा : क्या बताऊँ बहन कल रात को तो सेक्स का सारा मजा किर-किरा हो गया .... मारवाड़ण सहेली ने पूछा : क्यूँ ऐसा क्या हुआ ... कंही जीजोसा का खड़ा होना बंद तो नहीं हो गया और तू तड़फती ही रह गयी ... सिंधन अपनी सहेली के बूब्स को चिमटते हुए बोली : नहीं वो बात नहीं है रे उनका खड़ा तो रोज रात को होता है पर कल रात को वो मेरी सिलवार की गाठ उलझ गयी और बहुत देर तक उनसे और फिर मुझसे भी नही खुली ... मारवाड़ण सहेली हँसते हुए पूछी : फिर, फिर क्या हुआ ... सिंधन सहली भी मुस्कुराते हुए बताई : फीर क्या बच्चा जाग गया और उसको सुलाने के चक्कर में हम दोनों को भी नींद आ गई .... और सरे प्रोग्राम की वाट लग गयी .. मारवाड़ण : लेकिन म्हारे साथ ऐसा कभी नही हो सकता है हम तो जब भी मूड होता है भरपूर सेक्स का मज़ा लेते है ... सिंधन पूछती है : क्यों तुम्हरे पेटीकोट  की गठान कभी नहीं उलझती क्या ... मारवाड़ण उसके सलवार को खींचते हुए बोली : इसीलिए मेरी बन्नो रात को लहंगा पहना कर और जब भी मज़ा लेना हो तो ऐसा करने के लिए गठान खोलने की क्या जरुरत है बस लहंगा ऊपर उठाओ और शुरू हो जाओ